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INDIA

चीफ जस्टिस बोले- मैं कोर्ट में हूं तो लखीमपुर हिंसा के पीड़ितों से कैसे मिल सकता हूं

चीफ जस्टिस ने गलत खबर पर नाराजगी जताई

नई दिल्ली. भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न्यायाधीश एनवी रमना ने एक गलत ट्वीट पर नाराजगी व्यक्त की जिसमें कहा गया था कि सीजेआई रमना ने लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की थी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करता है लेकिन ऐसा करना बिल्कुल उचित नहीं है. चीफ जस्टिस ने उस खबर पर नाराजगी जताई जिसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस लखनऊ में पीड़ित से मिलने गए थे.

चीफ जस्टिस ने कहा कि ये खुद समझना चाहिए कि ये कैसे हो सकता है… मैं कोर्ट में हूं. कोर्ट लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रहा था और उसने ट्वीट को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया. शीर्ष न्यायालय ने कहा कहा कि मीडिया को फैक्ट की जांच करनी चाहिए. सीजेआई एनवी रमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि हमें यह देखकर अफसोस है कि कोई व्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हद को पार कर रहा है. उन्हें तथ्यों की जांच करनी चाहिए. ये सभी गलत प्रस्तुतियां हैं जो की जा रही हैं.

यह मुद्दा तब सामने आया जब एक वकील ने बेंच से कहा कि गुरुवार को एक मीडिया संगठन ने एक ट्वीट किया था जिसमें कहा गया था कि चीफ जस्टिस ने लखीमपुर खीरी घटना के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की थी. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हम सभी गैर-जिम्मेदार ट्वीट में निशाने पर हैं. मैंने कुछ ट्वीट अपने बारे में भी देखा है. चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें कुछ समझ होनी चाहिए क्योंकि मैं अदालत में था. ऐसे में मैं लखनऊ कैसे जा सकता हूं और परिवार से मिल सकता हूं.. इसे वहीं छोड़ दें. हमें इन बातों से परेशान नहीं होना चाहिए. सार्वजनिक जीवन में….

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत को उम्मीद है कि उन्हें यह बताने के लिए एक प्रामाणिक और स्वैच्छिक रिपोर्ट पेश करनी चाहिए हमने यही किया है. जस्टिस कोहली ने कहा कि हम मीडिया और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं लेकिन यह इसे पार करने का तरीका नहीं है. यह बिल्कुल उचित नहीं है. बेंच ने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से वह संतुष्ट नहीं है. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में तीन अक्टूबर को आठ लोगों की मौत हो गई थी. पीठ ने साल्वे से कहा कि वह शीर्षतम पुलिस अधिकारी को सूचित करें कि मामले से जुड़े सबूत और अन्य प्रासंगिक सामग्री नष्ट नहीं की जाए. मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.

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