JHARKHAND

करमा पर्व 2023

Ranchi के फिरायालाल चौक पर Karma Puja पर भव्य शोभा कार्यक्रम

हर साल करमा पूजा भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस साल करमा पर्व 25 सितम्बर को मनाया जाएगा. वहीं करमा पर्व सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, असम, आदि राज्यों मे बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.

यह त्योहार भादो माह और भाद्रपद की 11वीं तिथि को मनाया जाता है। कर्मा देवता प्रकृति से जुड़े हैं और बहनें भी इस दिन अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्यौहार किसानों के लिए पवित्र है और इस दिन लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। कर्म पूजा 2023 की तारीख और समय 25 सितंबर 2023 दोपहर 1:43 बजे है।

25 सितंबर 2023 को करमा पूजा आयोजित की जाएगी. करमा झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह पर्व झारखंड- बिहार के अलावा ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में आदिवासी समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और उनके दीर्घायु के लिए पूजन करती हैं.

संस्कृति और परंपरा का लोक पर्व कर्मा-धर्मा आज 25 सितंबर को बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जा रहा है. बहनें अपनी भाई की सुख-समृद्धि की कामना व दीर्घायु को लेकर उपवास रखते हुए पूजा-अर्चना करेंगी. यह त्योहार हर वर्ष भाद्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 25 सितंबर यानी आज पड़ रहा है,

करम त्योहार लोगों के विभिन्न समूहों द्वारा मनाया जाता है, जिनमें शामिल हैं: मुंडा, हो, ओरांव, बगल, बैगा, बिंझवारी, भूमिज, खरिया, कुड़मी, करमाली, लोहरा, कोरवा और कई अन्य।

करमा पर्व 6 सितंबर को है. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. झारखंड के लोगों की परंपरा रही है कि धान की रोपाई हो जाने के बाद यह पर्व मनाया जाता रहा है. Karma Puja 2022: इस साल करमा पर्व 6 सितंबर मंगलवार को है,

झारखंड का एक और प्रसिद्ध उत्सव है- सरहुल. आदिवासियों का यह सबसे प्रसिद्ध त्योहार है. आसान शब्दों में कहें तो सरहुल में साल के पेड़ की पूजा की जाती है. यह प्रकृति की पूजा है, जिसमें भगवान श्रीराम की पत्नी सीता की पूजा ‘धरतीमाता’ के रूप में की जाती है.

इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास के पश्चात करम वृक्ष की शाखा को घर के आंगन में रोपित करते हैं तथा मिट्टी से हाथी और घोड़े की मुर्तियां बनाकर करम देवता की पूजा करते हैं। पूजा-अर्चना करने के पश्चात महिला-पुरुष नगाड़ा, मांदर और बांसुरी के साथ करम शाखा के चारों ओर करम नाच-गान करते हैं।
घर की सफाई कर, एक विशेष स्थान को गाय का गोबर से लीपना चाहिए. पूजा के समय ऐसा करने से स्थान शुद्ध होता है. इसके बाद करमा डाली को गाड़ा जाता है, और फिर बहनें पूजा का थाली सजाकर करम देव की पूजा करती हैं. पूजा के समय बहनें अपने भाई की सुख- समृद्धि और उन्नति के लिए प्रार्थना करती हैं

करमा पूजा मूल रूप से बहन व भाइयों के आपसी प्रेम को प्रदर्शित करता है. मान्यता के अनुसार इस दिन बहन अपने भाई के सुख, समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना के साथ पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है.

अधिकांश लोगों के लिए, प्रतिदिन 1-3 कर्मों का सेवन एक सुरक्षित मात्रा माना जाता है। कर्मा वॉटर में मौजूद अधिकांश विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं, जिसका अर्थ है कि आपका शरीर उन विटामिनों की अतिरिक्त मात्रा को बाहर निकाल देगा जिनकी उसे आवश्यकता नहीं है।

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